Hello Dosto, Welcome in Healthy Dunia.
आज आप इस लेख में जानोंगे। कि किन कारणों से युवा पीढ़ी में चिड़चिड़ापन और गुस्सा निरंतर बढ़ रहा है। इससे उनको कौन – कौन सी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। और इसको कम करने के लिए हमे क्या – क्या करना चाहिए। irritability and anger in Hindi read full contant….
आज आप इस लेख में जानोंगे। कि किन कारणों से युवा पीढ़ी में चिड़चिड़ापन और गुस्सा निरंतर बढ़ रहा है। इससे उनको कौन – कौन सी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। और इसको कम करने के लिए हमे क्या – क्या करना चाहिए। irritability and anger in Hindi read full contant….
आजकल छोटी – छोटी बातों पर लोगों का मूड खराब हो जाता है। यदि किसी व्यक्ति कि कॉल न लगे । तो मोबाइल फ़ोन फेंक देते है। या वहान चलाते समय साइड न मिलें। तो हॉर्न्स और जरा – सी देर के लिए व्यक्ति परेशान और गुस्सा हो जाता है। वहीं घरों में छोटी – छोटी बातों के लिए झगड़ना। इससे अपनों से ही दूरियां बढ़ती है।
जानिए चिड़चिड़ापन और गुस्सा बढ़ने के कारण (Due to increase irritability and anger in Hindi 2019)
समय बदलने के साथ – साथ व्यक्ति बहुत अधिक व्यस्त होता जा रहा है। उसके लिए समय बहुत किमती होता चला जा रहा है। इसके साथ – साथ उसमे चिड़चिड़ापन और गुस्सा भी बढ़ता जा रहा है। जिसके निम्नलिखित कारण है-
Social Media
इसका जितना फायदा है। उतना ही नुकसान भी है। आजकल प्रत्येक व्यक्ति सोशल मिडिया का इस्तेमाल कर रहा है। यदि किसी भी प्रकार का कार्य हो सोशल मिडिया पर संभव है। इसका अधिक समय तक प्रयोग करने से व्यक्ति और बच्चों पर बहुत – अधिक बुरा प्रभाव पड़ता है। जिससे उनका चिड़चिड़ापन और गुस्सा होना संभव है।
टी. वी. और मोबाइल फ़ोन का इस्तेमाल
अक्सर हम देखते है। कि बच्चे लम्बे समय तक मोबाइल फ़ोन और टी. वी. देखते रहते है। जिसके कारण उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर बहुत बुरा – प्रभाव पड़ता है। और बच्चों का सभाव गुस्से वाला और चिड़चिड़ा – सा हो जाता है।
PUBG Game
बच्चों का चिड़चिड़ापन और गुस्सा होने की सबसे बड़ी वजह है। PUBG गेम। यदि किसी बच्चे या व्यक्ति को इस गेम को खेलने की लत लग जाती है। तो उसके लिए वह गेम ही सब कुछ हो जाता है। उसे रात और दिन का कुछ पता नहीं चलता है। वह भूखा रह सकता है। लेकिन इस गेम को नहीं छोड़ता है। इससे उनकी स्मरण शक्ति कम होती है। और आँखों की रोशनी पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है।
क्षमता से ज्यादा ऋण लेना
जब कोई व्यक्ति किसी बिजनस या अन्य कार्य के लिए ज़्यदा – मात्रा में पैसा उदार ले लेता है। और उसको समय आने पर न देने में असमर्थ हो जाता है। तो उसका सभाव बदल जाता है। उसको चिंता होने लगती है। जब कोई व्यक्ति उससे बात करता है। तो उसके गल पड़ जाता है।यानि उसका सभाव चिड़चिड़ापन और गुस्से वाला हो जाता है।
पास्ट(Past) की बातों को सोचकर
जब किसी परिवार में कोई अचानक बड़ी दुर्घटना हो जाती है। तो उस समय परिवार के लोगों की हलात बहुत खराब रहती है। लेकिन समय बीतने के बाद । किसी समय वहीं बात वापसी याद आने से व्यक्ति के स्वास्थ्य और दिमाग पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। व्यक्ति का सभाव चिड़चिड़ा और गुस्से वाला हो जाता है। उसे बात करना या काम करना कुछ भी अच्छा नहीं लगता है।
नींद पूरी न होना
जब किसी व्यक्ति या बच्चे की नींद पूरी नहीं – होती है। या सोते समय अचानक उठा देना। ऐसी स्थिति में बहुत अधिक गुस्सा आता है। और मन चिड़चिड़ा – सा हो जाता है।
नौकरी न मिलना
यदि किसी लड़के या लड़की ने अच्छी पढ़ाई कर रखी है। और इसके बावजूद भी उसको नौकरी नहीं मिलती है। तो इसका असर उसके शरीर और दिमाग पर बहुत गहरा पड़ता है। उसका चिड़चिड़ा और गुस्सा होना भी संभाविक है। उसका आत्मविश्वास डगमगा जाता है।
कमाई से ज्यादा खर्च
जिस व्यक्ति की encome कम और खर्चे ज्यादा होते है। तो उनको पूरा करने के लिए वह बहुत मेहनत करता है। लेकिन इसके बावजूद भी वह अपनी और अपने परिवार की जरूरतों को पूरा नहीं – कर पाता है। जिस कारण उसका सभाव चिड़चिड़ा और गुस्सा वाला हो जाता है।
काम का बोझ
किसी व्यक्ति का अपने बिजनस या ऑफिस से संबंधित काम का भार – अधिक हो जाता है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति का परेशान होना संभाविक है। इस कारण से भी व्यक्ति का सभाव चिड़चिड़ा और गुस्से वाला हो सकता है।
चिड़चिड़ापन और गुस्से के लक्षण (Symptoms of irritability and anger in Hindi)
- जब कोई व्यक्ति या नौजवान युवक एकदम से नशा करना शुरू कर दें।
- जब किसी के व्यवहार में तेजी से परिवर्तन आने लगें। चिड़चिड़ापन और गुस्सा बढ़ने लगें। या फिर अपशब्द कहने लगें।
- खानपान और नींद की आदतों में बदलाव आए। तो सावधान हो जाये।
- व्यक्ति हर समय चिंतित और उदास नजर दिखाई देता है।
- उसका शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य अस्वस्थ रहता है।
शरीर पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव (Body effects)
- गुस्से में इंसान अनियंत्रित तरिके और मात्रा में नशा करता है।
- बार – बार गुस्सा करने से ह्दय की पंपिग क्षमता घटती है।
- जिससे ह्दय की मासपेशियां कमजोर होने लगती है। हार्ट – अटेक की आंशका बढ़ जाती है।
- एड्रिनलिन, नोराड्रिनलिन सहित कई हार्मोन्स का लेवल बढ़ने से गुस्सा आता है।
- जिन लोगों को छोटी – छोटी बातों पर गुस्सा आता है। उनको हार्ट, किडनी फेल्योर और पाचन संबंधी दिक्क्तें शुरू हो जाती है।
- बार – बार गुस्सा आने से चेहरे का रंग लाल हो जाता है। इससे मुंहासे जैसी त्वचा संबंधी समस्याएं हो सकती है।
- तेज सिर दर्द, माइग्रेन, हाई ब्लड प्रेशर, टेस्टेस्टोरॉन हार्मोन का असंतुलन, बांझपन, कुछ भी अच्छा – नहीं लगता आदि दिक्क्तें उत्तपन होती है।
चिड़चिड़ापन और गुस्सा से बचाव करें ऐसे (Avoid irritability and anger like this in hindi )
- बच्चों के साथ कम – से – कम एक घंटा खेले। और उनसे बातचीत करें।
- अपनों और रिश्तेदारों के साथ बात-चीत करते रहना चाहिए।
- बच्चों को दादा – दादी और नाना – नानी से मिलवाये।
- बच्चे को टी वी पर घातक, हिंसक सीरियल और मूवी से बचायें।
- जब बच्चे कुपोषित होते है। तो चिड़चिड़ापन और गुस्सा बढ़ना स्भाविक है। समय से बच्चों को पहचान जरूरी है।
- बच्चे अपने आस – पास से ज्यादा सीखते है। जब माता – पिता या अन्य लोग लड़ते है। तो बच्चों का उसका भी प्रभाव पड़ता है।
- खानपान पर भी रखे ध्यान।
- ब्रेकफास्ट, लंच और डिनर तीनों समय पर होने चाहिए।
- मौसमी फल, सब्जियां और एंटीऑक्सीडेंट युक्त चीजें ज्यादा खाएं।
- भोजन में विटामिन बी और बी 12 अधिक मात्रा में प्रयोग करें। (read more..)
- पानी खूब पियें। लम्बे समय तक भूखे न रहे।
- Social मीडिया का कम से कम इस्तेमाल करें।
- प्रतिदिन प्राणायाम और योग जरूर करने चाहिए।
- कभी – भी नकारात्म सोच न रखें।
- हमेशा जो काम करें पूरी ईमानदरी और लग्न से करें।
No comments:
Post a Comment