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आधुनिक जीवनशैली और तरक्की की होड़ के कारण तनाव बढ़ रहा है। शरीर में कार्टिसोल, एड्रिनलिन हार्मोन के ज्यादा बनने से तनाव(Stress) बढ़ता है। आज में आपको ऐसे चार योगासनों (important yogasan)के बारे में बताउगा। जिसको करने से आप को तनाव नहीं आएगा। और आपका सभी कामों में अच्छे से मन लगने लगेगा। इन योगासनों को करते समय हमें किन – किन बातों का ध्यान रखना होगा ये भी जानेगे।
आधुनिक जीवनशैली और तरक्की की होड़ के कारण तनाव बढ़ रहा है। शरीर में कार्टिसोल, एड्रिनलिन हार्मोन के ज्यादा बनने से तनाव(Stress) बढ़ता है। आज में आपको ऐसे चार योगासनों (important yogasan)के बारे में बताउगा। जिसको करने से आप को तनाव नहीं आएगा। और आपका सभी कामों में अच्छे से मन लगने लगेगा। इन योगासनों को करते समय हमें किन – किन बातों का ध्यान रखना होगा ये भी जानेगे।
योगासन करने से हमारा शरीर और दिमाग दोनों सही रहते है। जिन लोगों को अधिक तनाव रहता है, किसी काम को करने में मन न लगता है। उसको योगासन करने से बहुत अधिक फायदा होता है।
तनाव को दूर करने वाले योगासन(Best Stress Relieving yoga)
तनाव को दूर(Stress relieving yoga in hindi ) करने वाले योगासन निम्नलिखित है-
- शवासन
- बालासन
- पशिचमोतासन
- सुखासन
शवासन
विधि – जमीन पर पीठ के बल सीधे लेट जाओ। हथेलियों को शरीर से सटाकर रखें। और हथेलियों को खुली रखें। पैरों को बिल्कुल सीधा रखें।इसमें एक फुट का अंतर रखें। आँखें बंद हो। सिर व रीड की हड्डी को बिल्कुल सीधा रखें। कोई शारीरिक गतिविधियाँ न करे। सिर से पैर तक ध्यान केंद्रित करे। छोड़ते समय महसूस करे कि तनाव, अवसाद व चिंता शरीर से बहार निकल रहा है। इस अभ्यास को प्रतिदिन तीन से पाँच मिनट जरूर करें।
लाभ
- तनाव घटता है।
- एकाग्रता बढ़ती है।
- काम करने में मन लगता है।
- शरीर के ऊतकों और कोशिकाओं की मरम्त करती है।
सावधानी
- गर्भवती महिलाएं अपने सिर के नीचे तकिया का इस्तेमाल करें।
- आसन करते समय नींद नहीं आनी चाहिए।
- शुरुआत में अधिक समय तक न करें।
बालासन
विधि- व्रजासन मुद्रा में बैठ जाएं। इसके बाद धीरे – धीरे से आगे की और झुकें ताकि माथा जमीन को छू जाएं। अब धीरे – धीरे साँस छोड़े। हाथ पीछे की और ले जाएं। इसके बाद धीरे – धीरे सीने को जांघो की ओर दबाव दे। सीना दोनों जांघो से छूना चाहिए। हथेलिया खुली होना चाहिए। इस मुद्रा को क्षमता अनुसार एक से दो मिनट तक करें। और धीरे – धीरे साँस लेते रहे। इस दौरान 4 से 12 बार गहरी साँस लें।फिर धीरे – धीरे क्रमश: पूर्व मुद्रा में लोटे।
लाभ
- मस्तिष्क शांत रहता है।
- तनाव दूर होता है।
- माइग्रेसन और चिड़चिड़ापन से छुटकारा मिलता है।
- सिर दर्द और डिप्रेशन से छुटकारा मिलता है।
- हाई ब्लड प्रेशर रोगी को आराम मिलता है।
- नियमित यह आसन करने से कभी चक्कर नहीं आते है।
सावधानी
- कमर व जोड़ो से संबंधित रोगी यह आसन न करें।
- गर्भवती महिलाएं यह आसन न करें।
- डायरिया की समस्या वाले यह आसन न करें।
पशिचमोतासन
विधि – पशिचमोतासन का अर्थ है पीछे की और व उतान का अर्थ खींचना है। सीधे बैठकर दोनों पैरों को सीधा फैलाए। पैर सीधे व आपस में मिले हो। साथ ही गर्दन, सिर व रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें। इसके बाद हथेलियों को घुटनों पर रखें। सिर व धड़ को आगे झुकाएं। घुटनो को बिना मोड़े हाथों की उंगलियों से पैरों की उंगलियों को छूने की कोशिश करें। और गहरी साँस लें। इसके बाद सिर, माथे को दोनों घुटनों से छूने की कोशिश करें। बाहों को झुकाएं। कोहनी से जमीन को छूने की कोशिश करें। साँस छोड़ दे। थोड़ी देर बाद पूर्व मुद्रा में आए। और आसन को तीन – चार बार दोहराएं।
लाभ
- तनाव दूर होता है।
- पाचन शक्ति बढ़ती है।
- पैरों का दर्द दूर होता है।
- पेट व कूल्हे की चर्बी घटती है।
सावधानी
- अस्थमा और अल्सर के मरीजों को यह आसन नहीं करना चाहिए।
- यदि आप ने पेट के किसी अंग का ऑप्रेशन करवा रखा हो तो यह आसन न करें।
सुखासन
विधि – पैरों को सीधा कर बैठ जाएं। रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें। पैरों को मोड़कर एक – दूसरे पर रखें। दाएं पैर को मोड़े और बाएं पैर की जांघ के नीचे या अपने बाएं पैर के घुटने के नीचे रखें। गर्दन सीधी रखें। हाथों को ध्यान की मुद्रा में घुटनों पर रखें। आंखें बंद कर शरीर को ढीला रखें। तीन से चार मिनट गहरी साँस लें। चाहे तो आप मंत्रोच्चार भी कर सकते है।
लाभ
- तनाव दूर होता है।
- मन शांत होता है।
- पेट के रोगों से छुटकारा मिलता है।
सावधानी
- घुटनों और रीढ़ की हड्डी में किसी प्रकार की दिक्क्त हो तो यह आसन न करें।
- एक ही मुद्रा में लम्बे समय तक न बैठे।
- यह योग किसी विशेषज्ञ की निगरानी में करें।
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