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आज हम जानेगे। कि छूत के रोग(Communicable Disease)कौन – कौन से होते है। और यह किन – किन कारणों से फैलता (How Communicable Disease Spread) है। इनके लक्षण क्या – क्या है। और हम कौन – कौन सी सावधानियाँ रखकर इस रोग से बच सकते है। इसके साथ ये भी जानेगे कि छूत के रोग कैसे फैलते है।
छूत के रोग (Communicable Disease)
यह वे रोग होते है, जो कीटाणुओं , बैक्टीरिया और वायरस आदि के कारण फैलते है। उन्हें छूत के रोग कहते है। ये रोग दो प्रकार के होते है- संसर्ग और संक्रामक रोग। संसर्ग रोग प्रत्यक्ष रूप से रोगी के सम्पर्क में आने से लगते है। जबकि संक्रामक रोग अप्रत्यक्ष रूप से फैलते है। उदाहरण के लिए चेचक, हैजा, टायफाइड और पेचिस आदि छूत के रोग है।How Communicable Disease Spread.
छूत के रोग के लक्षण(Symptoms of Infectious Disease)
छूत के रोगों में मिलते – जुलते लक्षण पाये जाते है। वे जिनसे तुरंत पहचाने जाते है। जब रोग की शक्ति बढ़ने लगती है। तो निम्नलिखित लक्षण उत्तपन होते है।
- शरीर कमजोर हो जाता है।
- शरीर के अंगों में पीड़ा होने लगती है।
- कई रोग में कंपकपी छिड़ जाती है।
- सिर में दर्द होता है।
- कई बार शरीर पर लाल दाने निकल जाते है।
- छूत के रोगी को कई बार उल्टी और दस्त लग जाते है।
- शरीर का तापमान एकदम से बढ़ जाना।
- शरीर बेजान – सा लगने लगें।
यदि किसी व्यक्ति को ऐसे लक्षण दिखाई दें। तो किसी प्रकार की लापरवाही नहीं करनी चाहिए। और जल्दी – से – जल्दी डॉक्टर के पास जाना चाहिए।
छूत के रोग फैलने के कारण (Causes Communicable Disease)
ये रोग छोटे – छोटे कीटाणुओं, बैक्टीरिया आदि द्वारा फैलते है। ये कीटाणु मनुष्य के शरीर में प्रवेश करके उसकी शारीरिक शक्ति को कम कर देते है। शरीर में इन कीटाणुओं का सामना करने कि शक्ति नहीं रहती है। और मनुष्य बीमार पड़ जाता है। मनुष्य के शरीर में इन कीटाणुओं का विकास बड़ी शीघ्रता से होता है। यदि शरीर में इनका सामना करने वाले कीटाणु अधिक संख्या में तथा शक्तिशाली हों। तो वे शरीर में रोग को फैलने नहीं देते। परन्तु यदि रोग फैलाने वाले कीटाणु अधिक हों। तो शीघ्र ही मनुष्य के शरीर को घेर लेता है। जिससे बहुत अधिक नुकसान होता है।
छूत के रोग कैसे फैलते है(How Communicable Disease Spread)
वैसे तो इसके कई कारण है। लेकिन चार ढंग ऐसे है। जिनके द्वारा यह रोग ज्यादा फैलता है।
- पानी व भोजन द्वारा (By water and Food)
दूषित पानी पीने व भोजन खाने से यह रोग बहुत जल्दी फैलता है। मक्खियां बिना ढके भोजन पर आकर बैठ जाती है। और बाद में भोजन पर कीटाणु छोड़ देती है। जो भोजन करते समय हमारे अंदर चले जाते है। बीमार पशु का दूध पीने से भी हमे कई प्रकार कि बीमारियां हो जाती है।
पानी और खाने – पीने कि वस्तुओं में रोग के कीटाणु मौजूद होते है। जब हम उन वस्तुओं का प्रयोग करते है। तो बीमार पड़ जाते है। चेचक और तपेदिक रोग ऐसे ही फैलते है।
पानी और खाने – पीने कि वस्तुओं में रोग के कीटाणु मौजूद होते है। जब हम उन वस्तुओं का प्रयोग करते है। तो बीमार पड़ जाते है। चेचक और तपेदिक रोग ऐसे ही फैलते है।
- वायु (By Air)
वायु में हर समय बीमारी के कीटाणु रहते है। जब हम साँस लेते है। तो कीटाणु हमारे अंदर चले जाते है। ये कीटाणु मनुष्य के शरीर में प्रवेश करके अनेक प्रकार के रोग उत्तपन करते है। जब कोई रोगी अपने मुँह या नाक पर रुमाल रखे बिना सांस लेते है। या सांस बहार निकालते है। तो रोग के कीटाणु सामने बैठे स्वस्थ मनुष्य पर आक्रमण कर देते है। तपेदिक, चेचक, खांसी – जुकाम और इन्फ्लुएंजा आदि रोग वायु द्वारा ही फैलते है।
- कीड़ो द्वारा (By Germs)
जब मच्छर या अन्य किसी दूसरे – प्रकार के कीड़े व्यक्ति को काटते है। तो उसके कीटाणु हमारे शरीर के अंदर चले जाते है। जिस कारण उसको कई रोग उत्तपन हो जाते है। टायफाइड और मलेरिया ऐसे ही फैलते है।
- स्पर्श द्वारा (By Touching Others)
किसी बीमार व्यक्ति को छूने या उसके द्वारा प्रयोग की गई। वस्तुओं, बर्तनों का प्रयोग करने से छूत के रोग फैल जाते है। जैसे खुजली, दाद और चेचक आदि।
छूत के रोग से बचाव (Protect Communicable Disease Spread)
यदि समय रहते छूत के रोगों को पहचान लिया जाये। तो उनका उपचार किया जा सकता है। और उन्हें फैलने से भी रोका जा सकता है। इससे बचने के उपाए निम्नलिखित है।
सूचना
जब कोई छूत का रोग फैले या उसका लक्षण दृष्टिगोचर हो, तो तुरंत ही स्वास्थ्य विभाग को सूचित कर देना चाहिए। ताकि समय रहते रोग का सही उपचार हो सके।
प्रतिरक्षा
बहुत से रोग ऐसे होते है। जो मनुष्य को एक बार होने पर उसके शरीर में ऐसी, शक्ति उत्तपन कर देता है। जो शरीर के रोग के कीटाणुओं से बचाकर रख सकती है। इस रक्षा को प्रतिरक्षा कहते है। यह प्राकृतिक होती है। परन्तु ऐसी प्रतिरक्षा अपने यत्न से भी उतपन की जा सकती है।
कीटाणुमुक्त करना
रोगी द्वारा प्रयोग की गई वस्तुएं, बर्तन आदि। इनको कीटाणु रहित करने के लिए कई प्रकार की औषधियों का प्रयोग किया जाता है। इस प्रकार कीटाणु रहित करने को Disifection कहते है। कीटाणुओं रहित करने के लिए कई प्रकार की औषधियाँ मिलती है। उनके द्वारा रोगों को रोका जा सकता है।
निरोध काल
कई बार रोग एक स्थान तक फैलता है। तथा वहां पर रहने वाले लोग वह स्थान छोड़कर कहीं और जाकर रहते है। तथा वहां जाकर रोग फैलाने का कारण बनते है। अन्तर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार ऐसे लोगों को डॉक्टरी सर्टिफिकेट लेना जरूरी होता है। कि वे रोग मुक्त है या नहीं। ऐसा करने से छूत के रोगों को रोका जा सकता है। रोगियों पर यह प्रतिबंध रोग प्रभाव समाप्त होने पर कायम रहना चाहिए।
पृथक रखना
छूत के रोगी स्वस्थ व्यक्तियों से अलग रखना चाहिए। चेचक, छोटी माता, जुकाम, खांसी, निमोनिया आदि । रोगी को अन्य व्यक्तियों से पृथक रखना बहुत जरूरी है। प्रत्येक व्यक्ति को उसकी देखभाल करने के लिए उसके पास नहीं जाना चाहिए। केवल एक व्यक्ति ही देख – भाल करें। जब तक रोग का प्रभाव बिल्कुल समाप्त न हो जाएं। उसे किसी भी प्रकार का कोई काम नहीं करना चाहिए। इस प्रकार रोग को फैलने से रोका जा सकता है।
खान – पान
हमेशा व्यक्ति को स्वस्थ शुध्द और ताजा भोजन खाना चाहिए। इसके साथ पूरी मात्रा में स्वस्थ पानी भी पीना चाहिए। जंक फ़ूड और तेलीय खाद्य – पर्दार्थो का सेवन हो सके उतना कम ही करना चाहिए। अच्छा हो यदि इनका सेवन न ही करों।
साफ – सफाई
रोगी व्यक्ति के पास साफ – सफाई का पूरा ध्यान रखना चाहिए। ताकि रोगी व्यक्ति जल्दी ठीक हो जाएं। शुद्ध और साफ – सुथरे स्थान पर रहने से रोगी बहुत जल्दी ठीक होता है। क्योंकि उसे पूरी मात्रा में शुद्ध और स्वस्थ हवा मिलती है। जिससे वह स्वस्थ साँस लेता है। और खुश भी रहता है।
डॉक्टरी जाँच
थोड़ा – सा सक होने पर ही व्यक्ति को डॉक्टर के पास जाना चाहिए। क्योंकि उस समय यदि आप समय पर डॉक्टर के पास चले जाते है। तो रोग आगे नहीं फैलता है। समय पर उपचार हो जाता है।और आप ज्यादा बीमार भी नहीं होते है।
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